रौद्र रस -
इसका स्थाई भाव रौद्र(क्रोध) है, विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के संयोग से क्रोध नामक स्थाई भाव रौद्र रस का रूप धारण कर लेता है।
उदाहरण -
ज्वलल्ललाट पर अदम्य, तेज वर्तमान था
प्रचंड मान भंग जन्य, क्रोध वर्तमान था
ज्वलन्त पूच्छ-बाहु व्योम में उछालते हुए
अराति पर असह्य अग्नि-दृष्टि डालते हुए
उठे कि दीग-दिगंत में अवर्ण्य ज्योति छा गई।
कपीश के शरीर में प्रभा स्वयं समा गई।