भयानक रस की परिभाषा || bhayanak ras ki paribhasha aur udaharan

 भयानक रस -

इसका स्थाई भाव भय है, विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के संयोग से भय नामक स्थाई भाव भयानक रस का रूप धारण कर लेता है।


उदाहरण -

लंका कि सेना तो कपि गर्जन रव से काँप गई।
 हनूमान के भीषण दर्शन से विनाश ही भाँप गई।
उस कंपित संकित सेना पर कपि नाहर की मार पड़ी।
 त्राहि-त्राहि शिव त्राहि-त्राहि की शिव कि सब ओर पुकार पड़ी।।

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