हास्य रस की परिभाषा एवं उदाहरण -
इसका स्थायी भाव हास है जहाँ हास नामक स्थायी भाव, विभाव, अनुभाव तथा संचारी भाव के योग से रस रूप में परिणत हो, वहां हास्य रस होता है।
उदाहरण-
सीस पर गंगा हँसे, लट में भुजंगा हँसे ।
हास ही कै दंगा भयो, नंगा के विवाह में।।
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