करुण रस की परिभाषा और उदाहरण _ karun ras

करुण रस की परिभाषा और उदाहरण -

        इसका स्थाई भाव शोक है, जहाँ 'शोक' नामक  स्थाई भाव, विभव, अनुभव, और संचारी भाव के संयोग से रस रूप में परिणत् हो, वहां करुण रस होता है।

अथवा  

'शोक' स्थाई भाव, विभव, अनुभव, और संचारी भाव के संयोग से करुण रस की दशा को प्राप्त होता है।

उदाहरण -

               हे खग मृग हे मधुकर श्रेनि।
               तुम देखी सीता मृगनयनी।।

अथवा 

जथा पंख बिनु खग अति दीना। मनि बिनु फनि करिबर कर हीना।।
अस मम जिवन बंधु बिनु तोहि। जौ जड़ दैव जियावइ मोहि।।

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