बहुब्रिह समास -
जिस सामासिक पद में शब्दों का अर्थ न लेकर एक अन्य अर्थ लिया जाय, उसे बहुब्रीह समास कहते है |
उदहारण - दशानन = दश है आनन जिसके ( रावण )
टिप्पणी -
इस सामासिक पद में रावण को दशानन से शब्द से सम्बोधित किया जा रहा है,जिसमे रावण का नाम लेकर उसे दशानन कहा जा रहा है, इसलिए यहाँ बहुब्रीह समास होगा|
अन्य उदहारण -
| समस्त-पद | समास-विग्रह |
|---|---|
| जितेंद्रिय | जीत ली है इंद्रियाँ जिसने ऐसा (पुरुष) |
| नीलकण्ठ | नीला है कण्ठ जिसका ऐसा (शिव) |
| गिरिधारी | गिरी को धारण करने वाला है जो ( श्रीकृष्ण ) |
| चतुरानन | चार है आनन जिसके ऐसा ( ब्रह्मा ) |
| त्रिनेत्र | तीन है नेत्र जिसके ऐसा ( शिव ) |
| चक्रपाणि | चक्र है पाणि में जिसके ऐसा ( विष्णु ) |
| लम्बोदर | लम्बा है उदर जिसका ऐसा ( गणेश ) |
| चन्द्रमैली | चंद्र है मैली पर जिसके ऐसा ( शिव ) |
| गजानन | गज के समान आनन है जिसका ( गणेश ) |
| बारहसिंगा | बारह सींगो वाला है जो ( पशु विशेष ) |
| दिगम्बर | दिशाएँ ही अम्बर है जिसकी ऐसा ( नग्न पुरुष ) |
| चंद्रशेखर | जिसके शिखर पर चंद्र है ऐसा ( शिव ) |
| यशोधन | यश ही धन है जिसका ऐसा (पुरुष विशेष ) |
| पंचानन | पाँच है आनन जिसके ऐसा |
| पंचमुख | पाँच है मुख जिसके ऐसा ( हनुमान ) |