श्रृंगार रस की परिभाषा ( shringar ras ki paribgasha )

श्रृंगार रस की परिभाषा -

इसका स्थाई भाव 'रति ' है, जहाँ ' रति ' नामक स्थाई भाव, विभव, अनुभव, और संचारी भाव के संयोग से रस रूप में परिणत् हो, वहां श्रृंगार रस होता है।

अथवा

 नायक-नायिका के मिलन-संयोग तथा हाव-भाव को श्रृंगार रस कहते हैं।

उदाहरण -

लता ओट तव सखिह लखाए,
श्यामल गौर किशोर सुहाए।   

1 टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें
और नया पुराने