श्रृंगार रस की परिभाषा -
इसका स्थाई भाव 'रति ' है, जहाँ ' रति ' नामक स्थाई भाव, विभव, अनुभव, और संचारी भाव के संयोग से रस रूप में परिणत् हो, वहां श्रृंगार रस होता है।
अथवा
नायक-नायिका के मिलन-संयोग तथा हाव-भाव को श्रृंगार रस कहते हैं।
उदाहरण -
लता ओट तव सखिह लखाए,
श्यामल गौर किशोर सुहाए।
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